Different Gharana in Kathak

Different Gharana in Kathak

Diffrent Gharana in Kathak Dance
Classical Dance Kathak

Different Gharana in Kathak

कथक नृत्य में घराना

वर्तमान युग में कथक नृत्य के तीन घराने प्रसिद्ध हैं —

लखनऊ घराना
जयपुर घराना
बनारस घराना

इनका वर्णन इस प्रकार है:-

लखनऊ घराना
इस घराने की शुरुआत इश्वरी प्रसाद जी से माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की प्रसाद जी को सपने में श्री कृष्ण जी ने दर्शन देकर इस नृत्य की भागवत बनाने की प्रेरणा दी।

इस घराने के श्री बिंदादीन महाराज जी ने 1500 ठुमरियों का निर्माण किया और उन पर अभिनय का प्रचार किया।

लखनऊ घराना कथक नृत्य शैली का प्रमुख घराना है। इसमें अंगों की ख़ूबसूरत बनावट पर विशेष ध्यान दिया जाता है। ठाट बनाने का भी इनका अपना विशेष ढंग है। इस घराने में गत निकास का प्रस्तुतीकरण अधिक होता है।

जयपुर घराना
जयपुर घराना की शुरुआत करने वाले भानु जी थे , जिन्हें किसी संत द्वारा ताण्डव नृत्य की शिक्षा प्राप्त हुई।

इसके नर्तक ज़्यादातर हिंदू राजाओं के दरबारों से संबद्ध रहे। इनके नृत्य में जोश व तेज़ी तैयारी अधिक दिखाई पड़ती है। पखावज की मुश्किल ताल ये अत्यंत सरलता से नाच लेते हैं । भाव प्रदर्शन में भजन पदों पर भाव दिखाये जाते हैं।

बनारस घराना

कथक नृत्य का तीसरा घराना “बनारस घराना” है। इस घराने को जानकी प्रसाद जी ने शुरू किया। ये वाराणसी निवासी थे।

बनारस घराना शुद्ध नृत्य के बोल, सात्विक भाव और तत्कार पर ही आधारित है। इसमें बोलों की पैरों से निकासी पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस घराने की तत्कार में ऐडी का प्रयोग ज़्यादा होता है। इस घराने में भाव की शुद्धता का भी बहुत ख़याल रखा जाता है।

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